THE DEFINITIVE GUIDE TO प्राचीन भारत का इतिहास

The Definitive Guide to प्राचीन भारत का इतिहास

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रोहित शर्मा का बल्ला देता है टीम इंडिया को नॉकआउट मैच में जीतने की गारंटी, क्या फाइनल में बरसेंगे हिटमैन? 

अभिलेखों से विभिन्न कालों की धार्मिक स्थिति का विवरण भी मिलता है। अशोक के अभिलेखों से पता चलता है कि उसके काल में बौद्ध धर्म का विशेष प्रचार था तथा वह स्वयं इसके सिद्धांतों से प्रभावित था। उदयगिरि के गुहालेखों में उड़ीसा में जैनमत के प्रचार का ज्ञान होता है। गुप्तकालीन अभिलेखों से पता चलता है कि गुप्त सम्राट वैष्णव धर्म के अनुयायी थे तथा उस काल में भागवत धर्म की प्रधानता थी। यह भी पता चलता है कि विभिन्न स्थानों पर सूर्य, शिव, शक्ति, गणेश आदि की पूजा होती थी। अभिलेखों के अध्ययन से धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सद्भाव का भी परिचय मिलता है। अशोक ने अपने बारहवें शिलालेख में आदेश दिया है कि सब मनुष्य एक दूसरे के धर्म को सुनें और सेवन करें। कभी-कभी अभिलेखों में व्यापारिक विज्ञापन भी मिलता है। मालवा के अभिलेख में वहाँ के तंतुवायों (जुलाहों) के कपड़ों का विज्ञापन इस प्रकार दिया हुआ है-

पूर्वी गंगवंश – पूर्वी गंगवंश भारतीय उपमहाद्वीप का एक हिन्दू राजवंश था। उन्होने कलिंग को राजधानी बनाया। उनके राज्य के अन्तर्गत वर्तमान समय का सम्पूर्ण उड़ीसा तो था ही, इसके साथ ही पश्चिम बंगाल, आन्ध्र प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के भी कुछ भाग थे।इनका शासन ११वीं शताब्दी से १५वीं शताब्दी तक रहा। उनकी राजधानी का नाम 'कलिंगनगर' था जो वर्तमान समय में आन्ध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिला का श्रीमुखलिंगम है। पहले यह उड़ीसा के गंजम जिले में था। पूर्वी गंगवंश के शासक कोणार्क के सूर्य मन्दिर के निर्माण के लिये प्रसिद्ध हैं।

 इतिहास शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द ‘हिस्टोरिया’ से हुई है जिसका अर्थ है ‘सूचना’ या ‘सत्य जानने के लिए बनाई गई जांच’। इतिहास को विभिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न रूप से परिभाषित किया है। निम्नलिखित परिभाषाएँ इंगित करती हैं:

इसे बाबर की पुत्री तथा हुमायूं की बहन गुलबदन बेगम ने दो भागों में लिखा है। प्रथम भाग में बाबर की दशा द्वितीय में हुमायूं का इतिहास है। इस ग्रंथ से हुमायूं के शासनकाल के इतिहास की प्रामाणिक जानकारी मिलती है। मिसेज बैवरीज ने इस ग्रंथ का अंग्रेजी अनुवाद किया है। बैवरिज के अनुसार, ‘‘हिन्दुस्तान के मुगलकाल का जिन लोगों ने इतिहास लिखा है, उन्हें साधारणतः इस बात का ज्ञान नहीं कि गुलबदन बेगम ने भी किसी ग्रंथ की रचना की। इसका ज्ञान मिस्टर अर्सकिन को भी न रहा होगा, अन्यथा वह बाबर एवं हुमायूं के वंश का इतिहास अधिक शुद्ध रूप से लिखते।’’ रशब्रुक विलियम के अनुसार, ‘‘यह ग्रंथ पक्षपात से भरा हुआ है फिर भी, लेखिका ने इसमें अपने पिता की कुछ निजी स्मृतियां दी है।’’ इस ग्रंथ की एक प्रति ब्रिटिश म्युजियम में सुरक्षित है। तबकात-ए-अकबरी[संपादित करें]

पश्चिम से मुस्लिम आक्रमणों में तेजी[संपादित करें]

अपने प्रारंभिक अंग्रेजी उपयोग में, इतिहास और कहानी आम तौर पर एक जैसी थी। अतीत के किसी भी स्रोत या लेखा पर समान रूप से लागू होता है, चाहे वह काल्पनिक घटनाओं website का हो या घटनाओं का जिन्हें सच माना गया।

इस ग्रंथ की रचना कायस्थ जाति के भीमसेन ने फारसी भाषा में की। वह औरंगजेब की सेना में क्लर्क था। उसने उसकी सेना के साथ कई युद्धों में भाग लिया था। मुगल सेना द्वारा पनहाला का दुर्ग घेरे जाने पर उसने सैनिक सेवा छोड़ दी तथा इस ग्रंथ की रचना शुरू की। इस ग्रंथ में वर्णित घटनाएं सत्य हैं। लेखक ने ऐतिहासिक व्यक्तियों के चरित्र का यथार्थता में चित्रण किया है। इस ग्रंथ में चापलूसी देखने को नहीं मिलती। अतः जे.

इतिहास क्या है? इतिहास का जन्म कब और कहाँ हुआ , यह आज हम इस ब्लॉग में आपको बताएंगे और इसका अर्थ तथा परिभाषा भी स्पष्ट करेंगें। 

इस ग्रंथ का रचयिता अल बिरुनी था। वह अरबी तथा फारसी भाषाओं का विद्वान था। यह ग्रंथ फारसी भाषा में लिपिबद्ध है। अलबरूनी विदेशी था तथा भारत में उसने महमूद गजनवी के यहां नौकरी कर ली। वह चिकित्साशास्त्र, धर्म, दर्शन तथा गणित में रूचि रखता था। वह हिन्दू धर्म तथा दर्शन का भी अच्छा ज्ञाता था।

यह ग्रंथ मोरक्को के यात्री इब्नबतूता ने लिखा है। यह उसका यात्रा-वृत्तांत है, जो अरबी भाषा में रचित है। इस ग्रंथ में उसने मुहम्मद तुगलक के दरबार, उसके नियम, रीति-रिवाजों, परम्पराओं, दास प्रथा एवं स्त्रियों की दशा का सुन्दर वर्णन किया है। उसका वर्णन पक्षपात की भावना से मुक्त है। मुगलकालीन साहित्य[संपादित करें]

नरेंद्र मोदींचं राहुल गांधींना 'बालक बुद्धी' संबोधून प्रत्युत्तर पण 'मणिपुरा'त वाहून गेलं भाषण

एक और इतिहासकार आरसी मजूमदार शेरशाह पर लिखी पुस्तक के एक अध्याय 'हेमू- अ फॉरगॉटेन हीरो' में लिखते हैं, पानीपथ की लड़ाई में एक दुर्घटना की वजह से हेमू की जीत हार में बदल गई, वर्ना उन्होंने दिल्ली में मुग़लों की जगह हिंदू राजवंश की नींव रखी होती। मुग़ल साम्राज्य[संपादित करें]

शाहजहाँ की शासन-प्रणाली एवं उसकी कार्यप्रणाली के विषय में चंद्रभान ब्राह्मण रचित चहार चमन से विशेष जानकारी मिलती है। 

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